राष्ट्रपति ने राष्ट्र के नाम दिया संदेश, कहा विवादों से बचना होगा..

नई दिल्ली। 72वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा है कि देश विकास के कई बुनियादी लक्ष्यों को हासिल करने के मुहाने पर खड़ा है और इसीलिए यह जरूरी है कि विवादित और ध्यान बंटाने वाले मुद्दों से बचा जाए। राष्ट्रपति ने कहा कि देश गरीबी दूर करने, सबको बिजली देने जैसे लक्ष्यों के करीब है और हमें ऐसे विवादों से बचना होगा जो इन लक्ष्यों को हासिल करने में बाधा पैदा कर सकते हैं।

राष्ट्र के नाम संबोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि देश ऐसे मोड़ पर खड़ा है जहां खुले में शौच से मुक्ति, सभी बेघरों को घर और सबके लिए बिजली जैसी बुनियादी जरूरतें मुहैया कराने का लक्ष्य करीब है। इसीलिए हमें इस पर जोर देना होगा कि निरर्थक विवादों में पड़कर अपने लक्ष्यों से न भटक जाए।

महात्मा गांधी की अहिंसा की सोच को ज्यादा ताकतवर रेखांकित करते हुए कोविंद ने कहा कि हिंसा की तुलना में अहिंसा की ताकत कहीं अधिक है। उन्होंने कहा कि हमारे समाज में हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है और प्रहार की अपेक्षा संयम बरतना कहीं ज्यादा सराहनीय है। राष्ट्रपति की इस टिप्पणी को हाल की भीड़ की उन्मादी हिंसा की घटनाओं के संदर्भ में देखा जा रहा है।

राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में महिलाओं और युवाओं की राष्ट्र निर्माण में खास भागीदारी पर भी जोर दिया। उनका कहना था कि महिलाओं की आजादी को व्यापक बनाने में ही देश की सार्थकता है और उन्हें अपनी क्षमताओं का पूरा उपयोग करने के लिए सुरक्षित वातावरण उन्हें मिलना ही चाहिए। महिलाओं को अपने विकल्प चुनने की पूरी आजादी मिलनी चाहिए।

युवाओं की प्रतिभा को उभरने के लिए अवसर देने की वकालत करते हुए उन्होंने कहा कि युवा ही हमारे स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं। राष्ट्रपति ने छात्रों से यूएसआर यानि यूनिवर्सिटीज सोशल रेस्पांसिबिलिटी के तहत साल में चार या पांच दिन गांवों में बिताने का सुझाव दिया। उनका कहना था कि इससे नई पीढ़ी को देश के ग्रामीण इलाकों की वस्तुस्थिति, योजनाओं और सामाजिक कल्याण से जुड़ने का मौका मिलेगा।

देश में तेज गति से विकास और बदलाव की जरूरत बताते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि तीन दशक बाद हम स्वतंत्रता की 100वीं वर्षगांठ मनाएंगे ऐसे में आज जिन योजनाओं व परियोजनाओं की बुनियाद हम बना रहे हैं वही यह तय करेंगी कि हम दुनिया में कहां तक पहुंचे।

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