माॅडवी सिंह की प्रथम कृति 'समय के चाक पर' का लोकार्पण 

अखिल भारतीय साहित्य परिषद् भोपाल इकाई akhil bhartiya sahitya parishad bhopal की सांस्कृतिक मंत्री मॉडवी सिंह की प्रथम कृति 'समय के चाक पर' samay ke chak par का लोकार्पण विश्व संवाद केंद्र में संपन्न हुआ। अपनी कृति की रचनाएँ  प्रस्तुत करते हुए सहज सरल अभिव्यक्ति  में माॅडवी सिंह ने रचना पढ़ी आपको देखकर मन समुंदर हुआ। बादलों ने अजब चित्रकारी  लिखी। एक प्रेरक गीत उन्होंने पढ़ा जब ईमान धरम की बात चले तो घात जोड़ मत जाना।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि क राष्ट्र भाषा प्रचार समिति के मंत्री संचालक  श्री कैलाश चंद्र पंत ने कहा कि - कविता को लिखने वाले रचनाकार के संस्कार कविता में आ जाते हैं। अतः कवि को समझने के लिए उसकी कविता को पढ़ना आवश्यक होता है। कविता के स्तर पर जाकर पाठक को उतरना पड़ता है तभी सही तरह से तारतम्य बैठता है।कविता के लौकिक पक्ष को देखे तो कविता में शालीनता व कुलीनता दिखाई  देती है।

कार्यक्रम के अध्यक्ष पूर्व समूह महाप्रबंधक भेल श्री  विजय जोशी जी ने कहा कि - सृजन से बड़ा कोई सुख नही है।  सृष्टि की निरंतरता को नारी अक्षुण्ण रखती है।  साहित्य उत्कृष्ट हो तो रचनाकार हमेशा जीवंत रहता है। बचपन में पढ़े गये लेखकों की रचनाएँ जीवन भर याद रहती है।

विशिष्ट अतिथि अभासाप की राष्ट्रीय महामंत्री डॉ साधना बलवटे ने पुस्तक पर अपने विचार  रखते हुए कहा - - मॉडवी की पुस्तक के दोनों खण्डों  में गीत व कविता लयबद्ध व छंदमय है। कविता की तीव्रता में भी विचारों का संपूर्ण  समावेश है।  उनकी कविताओं में भारत बोध दिखाई देता है। सारस्वत अतिथि अभासाप भोपाल इकाई की अध्यक्ष व उर्दू अकादमी भोपाल की निदेशक डॉ नुसरत मेहदी ने कहा कि - मॉडवी सिंह ने अपनी रचनाओं में विभिन्न  रंग व खुशबुओं को समेटा है। सोशल मीडिया की एक पोस्ट किसी का व्यक्तित्व  नही हो सकता। सारस्वत अतिथि वरिष्ठ गीतकार डॉ राजेन्द्र शर्मा अक्षर जी ने आशीर्वचन देते हुए कहा कि-- पात्रों का सृजन कृतिकार  स्वयं करता है। प्रत्येक साहित्य  साधक को रामचरित  मानस का पाठ अपनी शैली के परिमार्जन के लिए करते रहना चाहिए।  अखिल भारतीय साहित्य परिषद भोपालकी महामंत्री सुनीता  यादव ने स्वागत वक्तव्य दिया।

 कार्यक्रम का सफल संचालन ख्याति प्राप्त गीतकार धर्मेंद्र सोलंकी ने किया  सुमधुर सरस्वती वंदना श्रीमती शालिनी व्यास  ने प्रस्तुत की। आभार परिषद की कोषमंत्री नीता सक्सेना ने वक्तव्य किया। संदर्भ प्रकाशन से श्री  राकेश सिंह, ममता बाजपेई, अनिता सिंह चौहान, प्रेमचंद गुप्ता, चरणजीत सिंह कुकरेजा, वंदना सिंह, राजेंद्र बलवटे, शैलेश ओझा, छवि सोलंकी, डॉ वरलक्ष्मी शीला मिश्रा केशव रमेश व्यास  सुनीता जैन सविता सिंह हँसा चौहान किशन तिवारी एम एम व्यास अंगद प्रसाद बी के सिंह सुभाष  दुबे ओमप्रकाश खुराना विनोद कुमार जैन सुशील गुरु मनोरमा पंत

डॉ रंजना शर्मा शेफालिका श्रीवास्तव मधुलिका श्रीवास्तव महेश  सक्सेना  मृणालिनी पवार सहित कार्यक्रम में बड़ी संख्या में  साहित्यकार, कविगण व साहित्य अनुरागी उपस्थित हुए। 

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