कलेक्टर का बड़ा आदेश, शाजापुर जिला जल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित

शाजापुर/ आदित्य शर्मा। म.प्र. पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 तथा संशोधन अधिनियम, 2002 के अंतर्गत जिले को कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी सुश्री ऋजु बाफना ने जल अभावग्रस्त क्षेत्र घोषित किया गया है।

लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग शाजापुर कार्यपालन यंत्री द्वारा प्रतिवेदन प्रस्तुत किया है कि शाजापुर जिले में औसत वर्षा 990.10 मि.मी. के स्थान पर 756.80 मि.मी. वर्षा हुई हैं, जो कि सामान्य से भी कम होने के कारण भू-जल स्तर में आवश्यक बढोत्तरी न होने से गंभीर पेयजल संकट उत्पन्न होने की संभावना है। कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी सुश्री बाफना द्वारा स्थिति का परीक्षण किये जाने पर यह परिलक्षित हुआ हैं कि यदि जिले में वर्तमान जल स्त्रोतों में उपलब्ध जल का पेयजल के अतिरिक्त अन्य प्रयोजनों के लिये उपयोग किये जाने पर प्रतिबंध नहीं लगाया गया तो जिले में गंभीर पेयजल संकट और संत्रास उत्पन्न होने की संभावना है।

कलेक्टर एवं जिला दण्डाधिकारी सुश्री बाफना द्वारा जारी आदेश मुताबिक जिले के समस्त जल स्त्रोतों यथा बांध, नदी, नहर, जलधारा झरना झील स्त्रोत जलाशय, नाला, बंधान, नलकूप या कुआं से किसी भी साधन से घरेलू प्रयोजन व निस्तार को छोडकर सिंचाई या औद्योगिक, व्यावसायिक अथवा किसी अन्य प्रयोजन के लिये (पूर्व से अनुमति प्राप्त को छोड़कर) जल उपयोग करने के लिये प्रतिबंधित किया गया है। जिले में निरंतर भू-जल की गिरावट को दृष्टिगत रखते हुए धारा 6 (1) के अंतर्गत संपूर्ण जिले में अशासकीय व निजी नलकूप खनन करने पर प्रतिबंध लगाया है। जिले की सीमा क्षेत्र की सीमा में नलकूप एवं बोरिंग मशीन संबंधित अनुविभागीय दण्डाधिकारी की अनुमति के बिना न तो प्रवेश करेगी (सार्वजनिक सड़कों से गुजरने वाली मशीनों को छोड़कर) और न ही बिना अनुमति के कोई खनन करेंगी। प्रत्येक राजस्व एवं पुलिस अधिकारियों को ऐसी बोरिंग मशीनों जो अवैध रूप से जिले में प्रतिबंधित स्थानों पर प्रवेश करेंगी अथवा नलकूप खनन/ बोरिंग का प्रयास कर रही मशीनों को जप्त कर पुलिस में एफ.आई.आर. दर्ज कराने का अधिकार होगा।

अधिसूचना का उल्लंघन करने पर म.प्र. पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 की धारा 3, धारा 4 या धारा 6 के उपबंध का उल्लंघन, प्रथम अपराध के लिये पांच हजार रूपये के जुर्माने से और पश्चातुवर्ती प्रत्येक अपराध के लिये दस हजार रूपये के जुर्माने से या कारावास से, जो दो वर्ष तक को हो सकेगा, दण्डनीय होगा। मध्यप्रदेश पेयजल परिरक्षण अधिनियम 1986 के अंतर्गत कार्यपालन यंत्री/ सहायक यंत्री लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को अधिनियम के अंतर्गत पारित आदेशों का पालन उनके संबंधित क्षेत्रो में सुनिश्चित करने के लिये अधिकृत किया है। उक्त आदेश 17 जनवरी 2024 से 31 जुलाई 2024 तक प्रभावशील रहेगा।

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