कागज से उतर कर आवाज की दुनिया में ‘कर्मवीर’ - मनोज कुमार

मनोज कुमार,रेडियो विशेषज्ञ : स्वाधीनता संग्राम के प्रतापी योद्वा पंडित माखनलाल चतुर्वेदी का लब्ध प्रतिष्ठित प्रकाशन ‘कर्मवीर’ आजादी के 75 वर्ष गुजर जाने के बाद भी भारतीय समाज की धडक़न में शामिल है. हर ऊर्जावान राष्ट्रभक्त आज भी ‘कर्मवीर’ से प्रेरणा प्राप्त करता है. ‘कर्मवीर’ में प्रकाशित एक-एक शब्द अंग्रेजों को भीतर तक हिला देता था तो भारतीय नागरिकों के भीतर गुलामी से मुक्ति का भाव जगाता था. आज जिस आजाद भारत में हम सांस ले रहे हैं, उसमें ‘कर्मवीर’ की बड़ी भूमिका है. अंग्रेजों को खदडऩे के बाद मुक्त भारत के नव-निर्माण की बुनियाद डाली जाने लगी. समय के साथ संचार साधनों का विकास होने लगा. आज 2023 में संचार माध्यमों में आमूलचूल परिवर्तन आ चुका है. शिक्षा से लेकर सरकारों तक की प्राथमिकता में संचार के नए माध्यम के विकास पर जोर है. ऐसे में कागज से उतर कर ‘कर्मवीर’ अब रेडियो की आवाज बन चुका है. दादा माखनलाल चतुर्वेदी की पुण्यायी से नयी पीढ़ी को अवगत कराने के लिए उनके नाम पर कोई तीन दशक पहले एशिया का पहले पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय की नींव पड़ी. एक छोटे से संस्थान के रूप में अपनी यात्रा आरंभ करने वाले माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय अपने विशाल स्वरूप में आगे बढ़ रहा है. संचार के विविध माध्यमों से पत्रकारिता एवं संचार की शिक्षा देने वाले एमसीयू नवाचार करता रहा है. इस श्रृंखला में कागज से उतरकर ‘कर्मवीर’ अब रेडियो की आवाज बन चुका है. रेडियो ‘कर्मवीर’ का आरंभ होना एक सपने का सच हो जाना है.

रेडियो ‘कर्मवीर’ संचार का एक टूल नहीं है बल्कि आने वाले दिनों में मध्यप्रदेश की पहचान बनने जा रहा है. हालिया आंकड़ों को गौर करें तो करीब चार सौ कम्युनिटी रेडियो देश के विभिन्न प्रदेशों में स्थापित हैं लेकिन अंगुलियों पर गिने जा सकने वाले रेडियो का नाम हम जानते हैं. रेडियो ‘कर्मवीर’ अभी शैशवस्था में है. लेकिन स्वप्रदृष्टा कुलपति प्रो. (डॉ.) केजी सुरेश के अथक प्रयासों से रेडियो ‘कर्मवीर’ अपनी पहचान बनाने में जुटा है. यह कम चमत्कारिक नहीं है कि बिना अनुदान एमसीयू अपने निजी आर्थिक स्रोतों से भोपाल में पचास एकड़ के विशाल भू-भाग में स्थापित है तो प्रदेश के रीवा, दतिया एवं खंडवा परिसर पर भी एमसीयू की मिल्कियत है. मध्यप्रदेश जनसंचालनालय के अधीन आने वाले एमसीयू का रेडियो ‘कर्मवीर’ एक तरह से शासकीय रेडियो है. लेकिन वह इस पहचान से परे अपनी विविधता एवं नवाचार के लिए आने वाले दिनों में जाना जाएगा.

उल्लेखनीय है कि देश का इकलौता मध्यप्रदेश है जहां राज्य शासन के पास नौ की संख्या में कम्युनिटी रेडियो संचालित हो रहा है. स्वाधीनता संग्राम को समर्पित देश का पहला स्टेशन ‘रेडियो आजाद हिन्द’ है. इसी तरह जनजातीय विभाग के अंतर्गत सुदूर आदिवासी अंचलों यथा झाबुआ, चंद्रशेखर आजाद नगर, नालछा, सेसइपुरा, चिचोली, खालवा, छिंदवाड़ा एवं डिंडौरी जिले में जनजातीय बोली में रेडियो का संचालन हो रहा है. रेडियो वन्या में बतौर समन्वयक कार्य करते हुए रोमांचक अनुभव हुआ. बोलियों में कार्यक्रम निर्माण एवं प्रसारण एक बड़ी चुनौती थी लेकिन यह सब कार्य स्थानीय लोगों के सहयोग से पूर्ण हुआ. तब के विभागीय मंत्री विजय शाह एवं मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के सपनों को रेडियो वन्या साकार कर रहा था. रेडियो वन्या में स्थानीय युवाओं को सिखाकर जिम्मेदारी सौंपी गई. यही पहल कुलपति प्रो. सुरेश रेडियो ‘कर्मवीर’ में कर रहे हैं. रेडियो ‘कर्मवीर’ का लोगो एवं सिगनेचर ट्यून एमसीयू के पूर्व विद्यार्थियों ने तैयार किया है. प्रोग्राम निर्माण एवं संचालन की जिम्मेदारी वर्तमान में पढ़ाई कर रहे विद्यार्थियों को सौंप कर उनकी प्रतिभा को निखारने की पहल प्रो. सुरेश कर रहे हैं. 
कुलपति प्रो. सुरेश ने रेडियो ‘कर्मवीर’ को एक मुकम्मल रेडियो स्टेशन बनाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सलाहकार समिति का गठन किया है. इस कमेटी में अन्ना रेडियो के संस्थापक श्रीधरजी, श्री रमेश हंगलू, श्री राजेन्द्र चुघ, श्री मनोज कुमार एवं श्री संदीप कुलश्रेष्ठ के साथ विश्वविद्यालय के लोग शामिल हैं. रेडियो ‘कर्मवीर’ के बारे में कुलपति प्रो. सुरेश कहते हैं कि ‘ रेडियो ‘कर्मवीर’ कैम्पस रेडियो नहीं है. यह सामुदायिक रेडियो है अत: विश्वविद्यालय परिसर से बाहर निकल कर कार्यक्रम का निर्माण किया जा रहा है.’ वे कहते हैं रेडियो ‘कर्मवीर’ का टेगलाईन है-‘जन, गण, मन की बात.’ अर्थात पूरे समुदाय की बात करेंगे. रेडियो ‘कर्मवीर’ के माध्यम से देश-दुनिया में मध्यप्रदेश की खासियत की आवाज गूंजेगी.
फौरीतौर पर देखा जाए तो रेडियो ‘कर्मवीर’ एक सामुदायिक रेडियो है लेकिन दिशा और दृष्टि मिल जाने के बाद यह देशव्यापी आकार लेगा. एमसीयू कैम्पस में पहले से ऑनलाईन रेडियो संचालित है जहां रेडियो ‘कर्मवीर’ के कार्यक्रमों का विस्तार किया जाएगा. सोशल मीडिया के विभिन्न प्लेटफार्म पर रेडियो ‘कर्मवीर’ की आवाज सुनाई देगी. एक तरह से रेडियो ‘कर्मवीर’ एमसीयू के स्टूडेंट के लिए प्रशिक्षण का स्पेस होगा. प्रो. सुरेश कहते हैं कि रेडियो ‘कर्मवीर’ मध्यप्रदेश का एसेट है. सामुदायिक रेडियो की जवाबदारी सामाजिक होती है. भाषा और प्रस्तुति पर विशेष ध्यान रहेगा. अभी तो रेडियो ‘कर्मवीर’ ने चलना शुरू किया है. 15 अगस्त, 2023 को रेडियो ‘कर्मवीर’ पूरे जोश-खरोश के साथ नमूदार होगा तब कहेंगे मन का रेडियो बजने दें जरा.

(लेखक सामुदायिक रेडियो विशेषज्ञ हैं)

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