FAHD मंत्री परषोत्तम रूपाला ने पशु महामारी तैयारी पहल और पशु स्वास्थ्य प्रणाली वन हेल्थ के लिए समर्थन की शुरुआत की

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री, परषोत्तम रूपाला ने आज एक स्वास्थ्य दृष्टिकोण के अनुरूप, भारत की तैयारियों और संभावित पशु महामारी की प्रतिक्रिया को बढ़ाने के लिए वन हेल्थ के लिए पशु महामारी तैयारी पहल और विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित पशु स्वास्थ्य प्रणाली समर्थन की शुरुआत की। इस पहल का उद्देश्य जानवरों और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए खतरा पैदा करने वाले जूनोटिक रोगों पर ध्यान देने के साथ पशु महामारी के लिए भारत की तैयारी और प्रतिक्रिया को बढ़ाना है। यह पहल पशु चिकित्सा सेवाओं और बुनियादी ढांचे, रोग निगरानी क्षमताओं, शीघ्र पहचान और प्रतिक्रिया, पशु स्वास्थ्य पेशेवरों की क्षमता का निर्माण, और सामुदायिक आउटरीच के माध्यम से किसानों के बीच जागरूकता में सुधार करने में मदद करेगी।

 इस आयोजन में "ऍनीमल हेल्थ सिस्टम सपोर्ट फॉर वन हेल्थ (ए.एच.एस.एस.ओ.एच)" पर विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित परियोजना का शुभारंभ भी किया गया, जिसका उद्देश्य भारत में पांच (05) राज्यों को कवर करने वाले वन हेल्थ दृष्टिकोण का उपयोग करके बेहतर पशु स्वास्थ्य प्रबंधन प्रणाली के लिए एक पारिस्थितिकी तंत्र बनाना है। इस अवसर पर बोलते हुए, केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने कहा, "भारत एक विविध पशु प्रजातियों का घर है, और पशुधन क्षेत्र देश की अर्थव्यवस्था और खाद्य सुरक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। हालांकि, हम उभरती और जूनोटिक बीमारियों से उत्पन्न खतरों के प्रति भी संवेदनशील हैं। पशु महामारी तैयारी पहल हमारे पशु संसाधनों की रक्षा करने और हमारे लोगों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सुनिश्चित करने के लिए एक सक्रिय कदम है। पशु महामारी तैयारी पहल और विश्व बैंक द्वारा वित्त पोषित "एक स्वास्थ्य के लिए पशु स्वास्थ्य प्रणाली सहायता" समग्र तरीके से पशु महामारियों को संबोधित करने के लिए व्यापक प्रयास हैं। हमारी पशु स्वास्थ्य प्रणालियों को मजबूत करके और वन हेल्थ दृष्टिकोण को लागू करके, हम जूनोटिक रोगों को बेहतर ढंग से रोक और नियंत्रित कर सकते हैं, जो न केवल हमारे जानवरों के स्वास्थ्य और कल्याण को प्रभावित करते हैं, बल्कि महत्वपूर्ण आर्थिक प्रभाव और मानव स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को भी प्रभावित करते हैं।

मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री डॉ एल. मुरुगन ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि "ऍनीमल पैन्डेमिक प्रीपेयर्डनेस इनिशिएटीव्ह (ए.पी.पी.आई) और ऍनीमल हेल्थ सपोर्ट फॉर वन हेल्थ (ए.एच.एस.एस..ओएच) परियोजना का शुभारंभ पशु महामारी को संबोधित करने और भविष्य में किसी भी अज्ञात संक्रमण से निपटने की तैयारी के करीब एक कदम है। वन हेल्थ पहल को लागू करने के लिए एक साथ काम करके, हम स्थायी और स्वस्थ मत्स्य पालन को बढ़ावा दे सकते हैं जो लोगों और पर्यावरण दोनों को फायदेमंद है।

सभा को संबोधित करते हुए पशुपालन और डेयरी विभाग के सचिव राजेश कुमार सिंह ने कहा, "आपात स्थिति जैसी किसी भी महामारी से निपटने के लिए प्रणाली तैयार करने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए,बीमारी की निगरानी को मजबूत करने, रोग पूर्वसूचना के लिए मॉडल बनाना, अनुसंधान एवं विकास पारिस्थितिकी तंत्र और नैदानिक क्षमताओं में सुधार, नियामक पारिस्थितिकी तंत्र को सुव्यवस्थित करना, काम करने वालों को बेहतर प्रतिक्रियाएं प्रदान करना और संसाधन जुटाना सहित विभिन्न कार्यों का समन्वय किया जाना है। डी.ए.एच.डी ने देश में पशुधन प्रणालियों और कार्यक्रमों में सुधार के लिए महत्वपूर्ण बदलाव शुरू किए हैं। पशु महामारी तैयारी पहल या ए.पी.पी.आई रोग की रोकथाम, नियंत्रण और महामारी की तैयारी के सभी पहलुओं को व्यापक रूप से कवर करने के लिए एक ऐसी पहल है। प्रमुख तत्वों में एकीकृत रोग चौकसी और निगरानी, प्रारंभिक चेतावनी और प्रतिक्रिया, वैक्सीन / निदान, अनुसंधान और विकास और उत्पादन, और वित्त पोषण और नियामक ढांचे को सक्षम करने वालों के साथ पारिस्थितिकी तंत्र समन्वय शामिल हैं।

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