बड़े भाई मुकेश के हाथों संपत्ति बेच सकेंगे अनिल अंबानी

नई दिल्ली। नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनक्लैट) ने अनिल अंबानी नियंत्रित आरकॉम को बड़ी राहत देते हुए दो सहायक शाखाओं रिलायंस इन्फ्राटेल और रिलायंस टेलीकॉम समेत उसकी दिवालियापन प्रक्रिया पर सशर्त रोक लगा दी है। इसके साथ ही आरकॉम को अपनी संपत्ति मुकेश अंबानी नियंत्रित रिलायंस जियो के हाथों बेचने की भी इजाजत दे दी गई है। इसके लिए ट्रिब्यूनल ने आरकॉम को पहली जून से 120 दिनों के भीतर एरिक्सन को 550 करोड़ रुपये का भुगतान करने को कहा है। एनक्लैट ने कहा है कि अगर कंपनी यह भुगतान करने में विफल रहती है, तो उसके खिलाफ दिवालियापन प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दे दिया जाएगा।

एनक्लैट के इस फैसले के बाद आरकॉम को रिलायंस जियो के हाथों संपत्ति बेचकर 25,000 करोड़ रुपये जुटाने का रास्ता खुल गया है। ट्रिब्यूनल के चेयरमैन जस्टिस एस. जे. मुखोपाध्याय की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय खंडपीठ ने आरकॉम के चेयरमैन और एमडी को इस बारे में एक हलफनामा दाखिल करने को कहा है। इसके साथ ही पीठ ने एरिक्सन इंडिया को भी आरकॉम की यह पेशकश स्वीकार करने संबंधी हलफनामा एनक्लैट में दाखिल करने को कहा है।

आरकॉम ने मंगलवार को अपने परिचालन कर्जदाता एरिक्सन इंडिया को एकमुश्त 500 करोड़ रुपये का भुगतान करने की पेशकश की थी। एरिक्सन की ओर से पेश हुए वकील ने कहा कि आरकॉम पर कंपनी का 978 करोड़ रुपये बकाया था, जो अब बढ़कर 1,600 करोड़ रुपये पर पहुंच चुका है। एरिक्सन ने नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (एनसीएलटी) में आरकॉम और उसकी दो सहयोगी कंपनियों के खिलाफ दिवालियापन प्रक्रिया शुरू करने संबंधी अपील दायर की थी, जिसे 15 मई को एनसीएलटी ने स्वीकार कर लिया था।

एलेक्ट्रोस्टील के लिए वेदांता को 5,320 करोड़ रुपये चुकाने की अनुमति

एनक्लैट ने बुधवार को इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स के अधिग्रहण के लिए उसके कर्जदाताओं को एकमुश्त 5,320 करोड़ रुपये के भुगतान की इजाजत वेदांता लिमिटेड को दे दी है। हालांकि एनक्लैट की दो सदस्यीय पीठ ने यह भी कहा कि यह भुगतान वेदांता की बोली को चुनौती देने वाली रेनेसां स्टील की याचिका पर अंतिम फैसले पर निर्भर करेगा। एनक्लैट के चेयरमैन जस्टिस एस. जे. मुखोपाध्याय ने कहा कि मामला लंबित रहने के दौरान सभी पक्ष अनुमोदित समाधान योजना पर ही काम करेंगे। एनक्लैट के मुताबिक अगर रेनेसां स्टील की बोली मंजूर की जाती है, तो इलेक्ट्रोस्टील को यह रकम वेदांता को वापस लौटानी होगी।

टाटा बताए वह भूषण स्टील के वैधानिक करों का भुगतान करेगी या नहीं

नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (एनक्लैट) ने टाटा स्टील से पूछा है कि वह भूषण स्टील के आयकर व वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) जैसे वैधानिक करों का भुगतान करेगी या नहीं। एनक्लैट ने टाटा स्टील को इस बारे में एक बयान दाखिल करने के अलावा यह भी बताने को कहा है कि परिचालन कर्जदाताओं को ऑफर किए गए 532 करोड़ रुपये में से एलएंडटी को को कितनी रकम मिलेगी।

गौरतलब है कि भूषण स्टील के संस्थापक सिंगल परिवार और कंपनी के परिचालन कर्जदाता लार्सन एंड टुब्रो (एलएंडटी) ने टाटा स्टील के हाथों कंपनी के अधिग्रहण के फैसले के खिलाफ याचिका दायर की हुई है। भूषण स्टील पर करीब 56,000 करोड़ रुपये का कर्ज है और पिछले सप्ताह टाटा स्टील को कंपनी के अधिग्रहण की इजाजत दे दी गई थी। सिंगल परिवार का तर्क है कि टाटा स्टील की बोली इसलिए गैरकानूनी है, क्योंकि उसकी एक सहयोगी कंपनी (टाटा स्टील यूके) पर ब्रिटेन की एक अदालत द्वारा जुर्माना लगाया जा चुका है।

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