Twin Tower news : 200 करोड़ में बनी इमारत, 9 सेकेंड में धराशायी

Twin Tower news : भ्रष्टाचार से बने 200 करोड़ रुपए की ट्विन टावर को आज धराशायी कर दिया गया। इस बहुमंजिला इमारत को बनाने में 200 करोड़ रुपए लगाया गया था। बिल्डिग गिराने में करीब 20 करोड़ रुपए और खर्च किये जाने की खबर है। नेता पक्ष-विपक्ष बिल्डिग गिरा देने के बाद भी एक दूसरे के सिर स्केम मढ रहे है। नोएडा के सेक्टर 93 में बना सुपरटेक ट्विन टावर को जमींदोज होने में 9 सेकेंड भर का समय लगा। इसके निर्माण में 10 साल लग गये। अधिकारी, कर्मचारी, बिल्डर के बीच भ्रष्टाचार का खेल चलता रहा। बिल्डिंग बनाने की परमिशन को 9 मंजले से बढ़ाकर 32 मंजिले तक किया गया। आखिरकार आज 3700 किलो के विस्फोटक से ब्लास्ट कर धराशायी कर दिया गया।

अब तक ट्विन टावर में क्या-क्या हुआ

- 23 नंवबर 2004 को नोएडा अथॉरिटी ने प्लॉट नंबर-4 को एमराल्ड कोर्ट के लिए आवंटित किया।
- एमराल्ड कोर्ट को ग्राउंड फ्लोर समेत 9 मंजिल तक मकान बनाने की अनुमति मिली। 
- 29 दिसंबर 2006 को अनुमति में संसोधन किया गया।
- फिर 9 मंजिल की अनुमति को 11 मंजिल तक किया गया,
- धीरे-धीरे 14 मंजिल से 17 मंजिल तक का नक्शा पास होता गया और इमारत बनती गयी।
- 2012 में अनुमति में फिर संशोधित किया गया।
- और ट्विन टावर की दोनो इमारत को 40 मंजिल तक बनाने की अनुमति दे दी गयी।
- जिसके बाद सुपरटेक समूह ने एक टावर में 32 मंजिल तक और दूसरे में 29 मंजिल तक का निर्माण किया गया।

भ्रष्टाचार के बाद कोर्ट में पहुंचा मामला

ट्विन टावर के अवैध निर्माण को लेकर 2009 में मामला कोर्ट पहुंचा। 
2014 में हाईकोर्ट ने ट्विन टावर तोड़ने का आदेश जारी किया।
शुरुआती जांच में नोएडा अथॉरिटी के करीब 15 अधिकारी और कर्मचारी दोषी माने गए। 
इसके बाद अथॉरिटी के 24 अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई।  
28 अगस्त 2022 को 18 साल बाद ट्विन टावर जमींदोज कर दिया गया। 

खड़े होते सवाल

ट्विन टावर की इमारत को जब 2006 में 9 मंजिले तक की अनुमति मिली थी, तो 40 मंजिल के इमारत बनाने के अनुमति धीरे-धीरे क्यों दी गयी? 
टावर बनाने में अनियमिता थी तो उसी समय रोक क्यों नहीं लगायी गयी ?
नोएडा अथॉरिटी के अधिकारी क्या कर रहे थे?

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