जन जन तक पहुंचेगी महाराणा प्रताप के शौर्य और देशभक्ति की गाथा

भोपाल। किसी भी राज्य सरकार का यह दायित्व होता है कि वह भावी पीढ़ी को सही इतिहास पढ़ाए। वीरता की प्रतिमूर्ति महाराणा प्रताप ने कष्ट सहकर भी राष्ट्रधर्म निभाने के लिए भावी पीढ़ियों को प्रेरित किया है। महाराणा प्रताप की जीवनी, राष्ट्र भक्ति औऱ उनके बलिदान को महाराणा प्रताप लोक के रूप में भावी पीढ़ी के सामने लायेंगे। इससे भावी पीढ़ी को सही प्रेरणा और दिशा मिलेगी। गुरूवार को मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने महाराणा प्रताप लोक और महाराणा प्रताप स्मारक का शिलान्यास किया।


महाराणा प्रताप की वीरता का उल्लेख करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि वे बचपन से ही साहसी थे। महाराणा प्रताप ने मेवाड़ के शासक के रूप में बागडोर संभाली। युद्धभूमि में महाराणा को देख मुगलों के पसीने छूट जाया करते थे। महाराणा प्रताप ने मुगल साम्राज्य की विस्तारवादी नीति का विरोध किया और वर्ष 1576 में हल्दीघाटी के युद्ध सहित अकबर के खिलाफ कई बड़े युद्ध वीरतापूर्वक लड़े। महाराणा प्रताप के व्यक्तित्व की रक्षा के लिए झालमान, भील सरदार पुंजा और उनकी सेना, ग्वालियर के रामशाह तंवर और उनके पुत्र, हाकिम खाँ सूर और भामाशाह ने अपने प्राणों को दांव पर लगा दिया था।

महाराणा प्रताप मुगलों के सामने कभी नहीं झुके। महाराणा प्रताप स्मारक मुख्यमंत्री चौहान के जनमानस से जुड़े रहने के भाव और दूरदर्शिता का परिणाम है। महाराणा प्रताप की जीवन और गुणों से प्रेरणा लेकर भारत दुनिया का नेतृत्व करने वाला राष्ट्र बनेगा। मुख्यमंत्री चौहान के कार्यकाल में राज्य में महाकाल लोक, एकात्म धाम, रामराजा लोक, सलकनपुर देवी लोक आदि स्थापित करने का संकल्प लिया गया है जिससे मध्यप्रदेश की प्रतिष्ठा पूरे देश में बढ़ रही है। बुंदेलखंड के गौरव महाराज छत्रसाल जी के योगदान को याद करते हुए मुख्यमंत्री श्री चौहान ने घोषणा की कि महाराज छत्रसाल के समाधि स्थल मऊ सहानिया (छतरपुर) में उनके जीवन पर भव्य स्मारक बनाया जाएगा। साथ ही धुबेला में वर्तमान संग्रहालय का सुसज्जीकरण और विकास किया जाएगा।

Topics:
Share:


Related Articles


Leave a Comment