World tribal day 2019 : मध्यप्रदेश मनाएगा विश्व आदिवासी दिवस

वरिष्ठ पत्रकार - मनोज कुमार, पूरी दुनिया के साथ ही मध्यप्रदेश भी विश्व आदिवासी दिवस World tribal day 2019 मना रहा है। यह पहली बार हो रहा है कि जब मध्यप्रदेश के एक बड़े जनजातीय समाज को यह लग रहा है कि मुख्यधारा के समाज के साथ उनकी चिंता करने वाला भी कोई है। 

मध्यप्रदेश देश के एक बड़े आदिवासी प्रदेश के रूप में चिंहित है। आदिवासियों के विकास के लिए अनेक योजनाओं को क्रियान्वित किए जाने की बात की जाती रही है किन्तु वास्तविक लाभ पाने से ये लोग कोसों दूर रहे हैं। आदिवासियों को हक दिलाने की जो पहल मध्यप्रदेश में देखने को मिल रही है, उस कड़ी में विश्व आदिवासी दिवस को देख सकते हैं।

इस दिन मध्यप्रदेश के सभी जिला मुख्यालयों के साथ विकासखंड स्तर पर आयोजन की व्यापक पैमाने पर तैयारी है। इस दिन मनाये जा रहे उत्सव की सबसे खास बात यह होगी कि यह महज उत्सव की कड़ी नहीं होगा बल्कि आदिवासी समुदाय की समस्याओं पर चर्चा करने एवं उन्हें समझने का एक बड़ा मंच होगा।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री कमल नाथ की पहल पर विश्व आदिवासी दिवस के अवसर पर पहली बार सामान्य अवकाश का ऐलान किया गया है। यह उन लोगों को थोड़ा विस्मय में डाल सकता है जिन्होंने इसके बारे में कभी सोचा भी नहीं था। पूर्ववर्ती सरकार आदिवासियों की चिंता में आयोजनों की झड़ी लगा दी थी लेकिन उन्हें अपना सा लगे, ऐसा कोई प्रयास पहली बार हुआ है। 

नाथ सरकार ने पूर्ववर्ती सरकार की आदिवासियों के कल्याण के लिए आरंभ की गई योजनाओं को किसी तरह रोकने या बदलने की कोशिश नहीं की। अलबत्ता इन योजनाओं को आगे बढ़ाने की दिशा में कार्य किया है। बदलाव की बात करने वाली नाथ सरकार में आदिवासियों की जिंदगी में बदलाव दिखने लगा है। शिक्षा से लेकर रोजगार तक हर स्तर पर योजनाओं का उन्नयन किया गया।

नाथ सरकार आम आदमी की भावनों को बखूबी समझती है, सो उसके अनुरूप कार्य को अंजाम दिया जा रहा है। जब हम आदिवासियों की चर्चा करते हैं तो हमारे सामने एक ऐसे समुदाय की तस्वीर नुमाया होती है जो संतुष्ट हैं और अपने में मस्त रहते हैं लेकिन जिन देवी-देवताओं के प्रति उनका अगाध विश्वास है, उसके प्रति वे सजग रहते हैं। मध्यप्रदेश के कई आदिवासी अंचल ऐसे हैं जहां आदिवासियों के देव स्थान को संरक्षित करने और उन्हें संर्वधित करने की आवश्यकता है। 

इस बात को दृष्टि में रखकर नाथ सरकार ने 40 करोड़ रुपये के भारी-भरकम बजट को अपनी स्वीकृति दी है। आदिवासी संस्कृति के देव-स्थानों के संरक्षण एवं देव-दर्शन की योजना को मुख्यमंत्री कमल नाथ ने मंजूरी दी है। इस योजना में देवी-देवता, ग्राम देवी-देवता एवं समुदाय के देवी-देवता विभिन्न आदिवासी समुदायों में गौंड जनजाति और उनकी उप जातियों, कोरकू, मवासी, भील जनजाति के ऐसे पारम्परिक देवठान/स्थानक आदिवासी, जो आदिवासी बस्तियों, टोलों, मंजरों, मोहल्लों में स्थित है, उनका निर्माण एवं जीर्णोद्धार कर संरक्षण किया जाएगा। योजना को वर्ष 2019-20 से 2021-22 तक संचालित करने के लिए वित्तीय आकार स्वरूप 40 करोड़ रूपये की स्वीकृति की गई। आदिवासियों के हित में कमल नाथ सरकार के इस पहल का सकरात्मक असर देखने को मिलता है।


आदिवासी अब तक मुख्यधारा से कटे हुए थे, सो मुख्यमंत्री नाथ की कोशिश है कि शिक्षा और रोजगार के बेहतर और बड़े अवसर उत्पन्न किए जाएं ताकि वे आत्मनिर्भर हो सकंे। उच्च शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति का प्रावधान तो पहले भी था लेकिन हर प्रतिभावान आदिवासी विद्यार्थी को लाभ मिल सके, इसकी कोशिश की गई है। 

रोजगार के लिए भी जंगलों में भटकने के बजाय अन्य रोजगार के अवसर बढ़े, इसके लिए बैंकों से उन्हें सुविधाजनक ढंग से रोजगार के लिए ऋण मिल सके, यह इंतजाम सरकार कर रही है। आदिवासी समुदाय कौशल पूर्ण है। बांस, मिट्टी, खेती और भी कई तरह के विकल्प उनके पास हैं जिनमें उन्हें परम्परागत रूप से कौशल हासिल है जिससे उन्हें दूसरों पर निर्भर रहने के स्थान पर स्वयं के रोजगार के साधन उपलब्ध हो सके।

मध्यप्रदेश के आदिवासी समाज की भलाई के लिए सार्थक कोशिश की यह आगाज है। अभी सफर लम्बा है और उनके लिए आसमान छूने की व्यवस्था नाथ सरकार कर रही है। सात समंदर पार भी जिस दिन मध्यप्रदेश के आदिवासियों की प्रतिभा का डंका बजेगा, उस दिन मध्यप्रदेश का स्वर्णिम दिन होगा। 
 

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