CBI के साख पर सवाल

सवाल आरोपियों का नहीं,  CBI  का है, जिसकी छवि अब कठघरे में है. कृष्णा नंद राय हत्याकांड krishnanand rai death के आरोपी बरी हो गए तो बड़ा सवाल राय की #हत्या किसने की ?  मुख्तार अंसारी को बेवजह 15 साल जेल में क्यों रखा ? कई ऐसे सवाल हैं जिसका जवाब मिलना मुश्किल है. CBI की विश्वनीयता लगातार गिरता जा रहा है. हकीकत तो ये है कि हाई प्रोफाइल केस में सीबीआई की सफलता लगातार संदिग्ध रही है.

गौर कीजिए तो बोफोर्स Bofors में सीबीआई को कुछ हासिल हुआ नहीं. 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले में यूपीए सरकार हिल गई. यूपीए को सत्ता से बेदखल होना पड़ा बाद में सभी आरोपी बरी हो गए.  डेनियल आर्म्स घोटाले में कुछ मिला नहीं. जिस ताबूत घोटाले को लेकर कई दिन तक संसद ठप रही, हंगामा हुआ, उसमें सीबीआई को एक सबूत नहीं मिला और #सुप्रीम कोर्ट में सभी आरोपियों को #क्लीन #चिट मिली.

संसद घुस कांड, बराक मिसाइल घोटाला, जैन हवाला कांड, #आरुषि हत्याकांड, शशिनाथ झा हत्याकांड,   #छत्तीसगढ़ का विधायक खरीद कांड, #लालू के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति केस इन सभी मामले में सीबीआई को नाकामी हाथ लगी. जेएनयू छात्र नजीब अहमद को सीबीआई नहीं ढूंढ सकी बाद में केस बंद कर दिया. #मायावती के खिलाफ एक दशक तक सीबीआई सबूत लेकर घूमती रही, लेकिन वो इतने फिजूल थे कि सुप्रीम कोर्ट ने केस दर्ज करने की ही इजाजत नहीं दी.

2017 में लोकसभा में दी गई जानकारी के अनुसार

 भ्रष्ट्राचार के तीन में से एक मामलों में  सीबीआइ दोष साबित नहीं कर पाती है. मतलब भ्रष्टाचार के तकरीब 32 फीसद मामलों में सीबीआइ फेल हो जाती है. सीबीआई भ्रष्टाचार, झगड़ों और झमेलों का अड्डा बन गई है और पिछले पांच सालों में इसको स्वच्छ, सक्षम और स्वायत्त बनाने की तमाम कोशिशों पर पानी फिर गया है. याद रहे, सन 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को #सरकार का पालतू #तोता बताते हुए इसके स्वरूप में बदलाव करने का निर्देश दिया था.

आप गौर करिए सीबीआई की इतनी विश्वसनीयता है कि हर छोटे बड़े मामले में आम से लेकर खास लोग सीबीआई जांच की मांग करते हैं. उन्हें विश्वाश रहता कि सीबीआई से जरूर इंसाफ मिलेगा लेकिन ऐसे ही अगर बड़े मामले में सीबीआई को विफलता मिलती रहेगी तो धीरे धीरे पुलिस की तरह सीबीआई से भी लोगों का भरोसा टूट जाएगा.

एक शासन तंत्र के रूप में भारत की सफलता काफी हद तक सीबीआई के कामकाज और उसकी साख पर निर्भर करती है. इसका स्वरूप न तो सरकारी तोते जैसा होना चाहिए, न ही सरकार की कनपटी से पिस्तौल सटाए दबंग जैसा. सीबीआई को एक भरोसेमंद जांच संस्था बनाने के लिए प्रयोग जारी रहने चाहिए, जब तक देश इसके कामकाज को लेकर आश्वस्त न हो जाए.

आप खुद देखिए केस की स्थिति

वर्ष कुल केस आरोपी बने सजा बरी
2017 538 755 354 184
2016 733 944 503 233
2015 644 821 434 210
2014 705 748 509 196

(डाटा सोर्स : 2017 में लोकसभा में दी गई जानकारी)  - लेखक मुद्दसिर खान वरिष्ठ पत्रकार और स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं।

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