यूएन महासचिव ने शांति रक्षा मिशन में सहयोग के लिए भारत को दिया धन्यवाद

संयुक्त राष्ट्र। संयुक्त राष्ट्र (यूएन) महासचिव एंटोनियो गुतेरस ने शांति रक्षा मिशन में लगातार सहयोग करने के लिए भारत का शुक्रिया अदा किया है। शुक्रवार को अंतरराष्ट्रीय शांति रक्षा दिवस के मौके पर यूएन मुख्यालय में भारत की तरफ से दी गई चाय-पार्टी में महासचिव ने कहा, "मैं भारत सरकार के समर्थन के लिए धन्यवाद देता हूं। वैश्विक भाईचारे, शांति और सुरक्षा को बनाए रखने में आपका योगदान महत्वपूर्ण है।" इस मौके पर गुतेरस ने मिशन के दौरान जान गंवाने वाले 163 भारतीय शांति रक्षकों को श्रद्धांजलि भी दी। उन्होंने लाइबेरिया के यूएन मिशन में तैनात इंडियन फार्म्ड पुलिस यूनिट की 125 महिला शांति रक्षकों के साहस की तारीफ की और उन्हें सब के लिए प्रेरणादायी बताया।

बता दें कि यूएन शांति रक्षा मिशन में इथोपिया व बांग्लादेश के बाद सबसे अधिक भारतीय शांति रक्षक शामिल हैं। 7,700 भारतीय शांति रक्षक फिलहाल दक्षिण सूडान और कांगो सहित कई देशों में तैनात हैं। बीते 70 वर्षों में मिशन के दौरान सबसे अधिक जान गंवाने वाले भी भारतीय हैंं। 1943 से शुरू मिशन में 3,737 शांति रक्षक अपनी जान गंवा चुके हैं जिनमें 163 भारतीय थे। शांति रक्षा मिशन में यौन उत्पीड़न के पीड़ितों की मदद के लिए बनाए गए कोष में भी भारत ने एक लाख डॉलर देकर सबसे पहले सहयोग दिया है।

मिशन के लिए स्पष्ट आदेश जारी करने की भारत की मांग को मिला समर्थन

भारत लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र शांति रक्षा मिशनों के लिए स्पष्ट आदेश जारी करने की मांग कर रहा था। अंतरराष्ट्रीय संस्था के दो प्रमुख शांति रक्षा अधिकारियों ने भारत की मांग का समर्थन करते हुए कहा, किसी भी मिशन की शुरुआत करने से पहले सुरक्षा परिषद की ओर से स्पष्ट आदेश जारी किए जाने चाहिए।

दरअसल, यूएन में भारत के स्थायी प्रतिनिधि सैयद अकबरुद्दीन का कहना है कि स्पष्ट आदेशों के अभाव में मिशन अपने लक्ष्य से भटक जाता है। शांति रक्षकों के लिए नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करना मुश्किल तो होता ही है साथ ही उनकी जान भी खतरे में पड़ जाती है।

शांति रक्षा मिशन के अवर महासचिव जीन पियर लैकरॉइक्स ने कहा, इसके समाधान के लिए परिषद, यूएन और सैन्य बल को एक साथ मिलकर प्राथमिकता के आधार पर लक्ष्य तय करने चाहिए। फील्ड ऑपरेशन के अवर महासचिव अतुल खरे ने कहा, मिशन के लिए स्पष्ट दिशा-निर्देश तय करने की जिम्मेदारी सुरक्षा परिषद के सदस्यों के साथ अन्य देशों की भी है।

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