समाज में वैज्ञानिक सोच का विकास आवश्यक : दिग्विजय सिंह

National Science Film Making Workshop/भोपाल: हमारे देश में अनादि काल से विज्ञान और तकनीकी की आवश्यकता महसूस होती रही है। समाज की आवश्यकताओं के अनुसार आविष्कार होते गये हैं। विज्ञान और तकनीक ने तेज गति से समाज में बदलाव किये हैं। यदि इन बदलावों के साथ समाज नहीं बदलता है तो समाज पिछड़ जायेगा। यही कारण है कि आज हमें समाज में वैज्ञानिक सोच का विकास करना आवश्यक है। इसी दृष्टि से हमारे देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने देश की आजादी के साथ ही साइंटिफिक टेंपर की बात कही थी। 

यह विचार राज्यसभा सांसद एवं मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह ने तीन दिवसीय विज्ञान फिल्म निर्माण कार्यशाला का शुभारंभ करते हुए व्यक्त किये। यह कार्यशाला PRSI पब्लिक रिलेशंस सोसायटी भोपाल और भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की राष्ट्रीय संस्था विज्ञान प्रसार द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित की जा रही है। कार्यशाला में प्रतिभागियों के उत्साहवर्द्धन के लिए मध्यप्रदेश शासन के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री श्री पी.सी. शर्मा भी उपस्थित हुए।

विज्ञान का उद्देश्य
    
श्री सिंह ने कहा कि विज्ञान हमारे दैनिक जीवन का हिस्सा है। हमें विज्ञान को सरलतम स्वरूप में जन-जन तक पहुंचाना है। विज्ञान के नकारात्मक पक्ष को अलग कर सकारात्मक पक्ष को आगे बढ़ाते हुए इसे जनकल्याण के लिए उपयोगी बनाना है। विज्ञान का उद्देश्य इंसानियत और मानवता पैदा करना होना चाहिए। 

कार्यशाला में प्रसिद्ध फिल्म निर्माता गौहर रजा ने कहा कि यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हमारे संविधान निर्माताओं ने संविधान में वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अधिकारों में शामिल किया। उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला आपको हिन्दुस्तानी बनाती है। फिल्म निर्माण के लिए पूरा होमवर्क और रिसर्च होना चाहिए। 
    
विज्ञान प्रसार के वरिष्ठ वैज्ञानिक निमिष कपूर ने कहा कि ‘‘कलम और कैमरा’’ बदलाव ला सकते हैं। विज्ञान के जरिए आमजन की सोच को तार्किक बनाया जा सकता है। नेशनल साइंस एकेडेमी के सलाहकार चंद्रमोहन नौटियाल ने कहा कि समाज को आगे बढ़ाने के लिए लोगों में सही दृष्टिकोण होना बहुत जरूरी है। एक चित्र हजार शब्दों के बराबर होता है। पहले सूर्यग्रहण पर लोग घर से बाहर नहीं निकलते थे। 

विज्ञान संचार बहुत महत्वपूर्ण

विज्ञान की फिल्मों का चमत्कार है कि लोग सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण के प्रति जागरूक हुए है। कार्यक्रम के प्रारंभ में पब्लिक रिलेशंस सोसायटी के अध्यक्ष पुष्पेन्द्र पाल सिंह ने कहा कि आज देश की बहुत बड़ी आबादी को ध्यान में रखकर बड़ी संख्या में विज्ञान संचारक तैयार करने की आवश्यकता है। समाज में व्याप्त अंधविश्वासों को समाप्त करने और आम लोगों में प्रभावी निर्णय क्षमता विकसित करने के लिए विज्ञान संचार बहुत महत्वपूर्ण है।
    
कार्यक्रम में पब्लिक रिलेशंस सोसायटी के न्यूज बुलेटिन ‘‘लोकसंपर्क’’ और कार्यशाला के लिए विशेष रूप से तैयार की गई पुस्तिका का विमोचन भी किया गया है। कार्यशाला में प्रशिक्षण के लिए दिल्ली से फिल्म निर्माता मतिउर रहमान, जीवन सिंह गर्बयाल, तारीक जैदी एवं मुबई से युवा फिल्म निर्देशक सुश्री श्वेता दत्ता भी उपस्थित हुई है। 

आभार प्रदर्शन पब्लिक रिलेशंस सोसायटी के कोषाध्यक्ष मनोज द्विवेदी ने तथा अतिथियों का स्वागत सचिव संजीव गुप्ता, उपाध्यक्ष अविनाश वाजपेयी, संयुक्त सचिव योगेश पटेल, संरक्षक विजय बोन्द्रिया, महिला प्रकोष्ठ सुश्री उमा भार्गव एवं सदस्यगण इरफान हैदर, विजया पाठक, समता पाठक, गौरव मिश्रा एवं अमित सेन ने किया। इस कार्यशाला में माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय, जागरण लेकसिटी यूनिवर्सिटी, एलएनसीटी यूनिवर्सिटी, पीपुल्स मीडिया स्कूल, सरोजनी नायडू गर्ल्स कॉलेज, भोपाल एवं आईटीएम यूनिवर्सिटी, ग्वालियर एवं इंक मीडिया स्कूल, सागर, सहित कई मीडिया संस्थानों के प्रतिभागी हिस्सेदारी कर रहे हैं।

कार्यशाला में कल के कार्यक्रम

9 से 11 सितंबर तक होटल पलाश रेसीडेंसी में चलने वाली इस कार्यशाला में द्वितीय दिवस 10 सितंबर को एक पैनल डिस्कसन का आयोजन प्रातः 10.30 बजे किया गया। इस पैनल में दिल्ली से आये विज्ञान फिल्म निर्माता दीपक वर्मा, दिल्ली से ही पब्लिक रिलेशंस सोसायटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष   डॉ. अजीत पाठक, फिल्म निर्माता श्री रविन्द्र बडगैया शामिल होंगे। मध्यप्रदेश शासन के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री श्री पी.सी. शर्मा एवं उच्च शिक्षा मंत्री श्री जीतू पटवारी भी प्रतिभागियों के साथ संवाद करेंगे।

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