WORLD ENVIRONMENT DAY 2019: वायु प्रदूषण से 1 लाख बच्चों में से 85 नहीं देख पाते 5वां जन्मदिन

नई दिल्ली. देश में होने वाली 12 से 5 प्रतिशत मौतों की वजह वायु प्रदूषण है और इसी के कारण हर एक लाख बच्चे में से 85 की पाँच साल की उम्र से पहले ही मौत हो जाती है। पर्यावरण के क्षेत्र में काम करने वाली स्वयं सेवी संस्था सेंटर फॅार साइंस एंड इनवायरनमेंट (सीएसई) द्वारा मंगलवार को जारी ‘भारत की पर्यावरण रिपोर्ट, 2019¹ में यह बात सामने आयी है। इसमें कहा गया है कि देश में होने वाली मौतों में 12 से 5 प्रतिशत का  कारण वायु प्रदूषण है। हर साल पाँच साल से कम उम्र के एक लाख बच्चे इस कारण  से दम तोड़ देते हैं। रिपोर्ट के अनुसार, वायु प्रदूषण से लड़कों की तुलना में लड़कियां को ज्यादा जोखिम है। इसके कारण हर एक लाख बच्चियों में से 96 की पाँच साल की उम्र की होने से पहले ही मौत हो जाती है। 

सीएसई ने विश्व पर्यावरण दिवस की पूर्व संध्या पर आज यह रिपोर्ट जारी की है। इस साल विश्व पर्यावरण दिवस का थीम ‘वायु प्रदूषण को मात देना¹ रखा गया है। 

रिपोर्ट में पर्यावरण से जुड़े अन्य पहलुओं पर भी प्रकाश डाला गया है। इसमें कहा गया है कि देश के जलाशयों में उपलब्ध पानी और भूजल दोनों में प्रदूषण बढ़ रहा है। कुल 86 जलाशयों में प्रदूषण का स्तर बहुत ज्यादा है। इसका एक कारण ज्यादा प्रदूषण फैलाने वाले उद्योगों की संख्या में तेज वृद्धि है। वर्ष 2011 से 2018 के बीच इनकी संख्या 136 प्रतिशत बढ़ी है। भूजल का स्तर लगातार नीचे जा रहा है। गहरे ट्यूबवेलों की संख्या 2006-07 से 2013-14 की तुलना में 80 फीसदी बढ़ी है। देश की 94-5 प्रतिशत लघु सिंचाई योजनाएँ भूजल पर आश्रित हैं। 

सीएसई के अनुसार, वर्ष 2010 से 2014 के बीच ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन में 22 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी। इसकी सबसे ज्यादा जिम्मेदारी ऊर्जा क्षेत्र की है जो देश के कुल ग्रीन हाउस गैस का 73 प्रतिशत उत्सर्जित करता है। जलवायु परिवर्तन के कारण पिछले साल 11 राज्यों में गंभीर मौसमी परिस्थितियां के कारण 1,425 लोगों की मौत हो गयी।  - वार्ता

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